लोन लेने के लिए सिर्फ Cibil Score ही नहीं, इन तीन चीजों को भी रखना पड़ता है ठीक
My job alarm – (Bank loan cibil score) किसी भी प्रकार का लोन लेने के लिए सिबिल स्कोर महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके अलावा कुछ और पहलुओं पर भी ध्यान देना आवश्यक है। बैंक लोन के आवेदन के समय केवल सिबिल स्कोर पर ही नहीं अन्य चीजों (important things required for loan) पर भी ध्यान देते हैं। यदि आपका सिबिल स्कोर अच्छा है, लेकिन अन्य आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते हैं, तो आप लोन सक्षम नहीं हो सकते हैं। इसलिए, लोन के लिए आवेदन करते समय इन सभी पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है ताकि आपकी लोन प्राप्ति की संभावनाएं बढ़ सकें।
Debt-to-Income Ratio की होती है जरूरत-
Debt-to-Income (DTI) रेश्यो, आपकी मासिक आय और कर्ज के भुगतान के अनुपात को दर्शाता है। यह बैंक लोन देने से पहले आपकी आर्थिक स्थिति का आकलन करने में मदद करता है। DTI रेश्यो यह बताता है कि आपकी ग्रॉस सैलरी के मुकाबले आप कितनी किस्तें चुका रहे हैं। यदि DTI रेश्यो कम है, तो यह लोन मिलने की संभावना को बढ़ा सकता है, क्योंकि यह संकेत देता है कि आपकी मासिक आय के बाद आपके पास खर्च करने के लिए अधिक पैसा बचता है। इसीलिए, एक संतुलित DTI रेश्यो वित्तीय स्थिरता का संकेत होता है।
यह रेश्यो (loan ke liye Debt-to-Income ratio) कम होने पर दर्शाता है कि आपकी ग्रोस सैलरी अनुसार आप पर कर्ज का असर कम पड़ रहा है। वहीं ज्यादा रेश्यो कर्ज के असर की भी अधिकता को बताता है। यह रेश्यो इसलिए भी जरूरी है (Debt-to-Income ratio kyo jruri hai) क्योंकि इससे बैंक को यह समझने में मदद मिलती है कि आपने पहले से कितने कर्ज ले रखे हैं और आपके पास नए लोन चुकाने की कितनी क्षमता है यानी नया कर्ज चुकाने में कितने समर्थ हैं। इसके लिए कहीं किसी प्रकार का कोई जोखिम तो नहीं है।
EMI/NMI Ratio का यह होता है काम-
EMI और NMI का मतलब क्रमश: Equated Monthly Installments और Net Monthly Income है। सिबिल स्कोर के अलावा EMI/NMI रेश्यो भी लोन लेने में अहम भूमिका निभाता है। इससे बैंक यह तय करते हैं कि जो मासिक आय आप अर्जित कर रहे हैं, उसमें से कितना आपकी ईएमआई पर खर्च होगा।अगर आपकी EMI/NMI 50 से लेकर 55 प्रतिशत है, तब आपको लोन मिलने में आसानी रहेगी। लेकिन इससे ज्यादा अनुपात होने पर बैंक लोन (bank loan) देने में ईएमआई (loan EMI rules) के न भरे जाने का जोखिम मानते हैं। अगर लोन मिलता भी है तो अधिक ब्याज दर पर मिलेगा।
Loan-to-Value Ratio (LTV) की भूमिका-
Loan-to-Value Ratio का रोल ज्यादातर होम लोन के लिए कैलकुलेट किया जाता है। इससे बैंक को कई जोखिमों को समझने में मदद मिलती है। इस अनुपात के अनुसार आपके लोन (LTV Ratio for loan)की असेट या कोलेट्रल लोन की तुलना में कितनी वैल्यू है, यह समझा जाता है।
लोन को सिक्योर (loan secure) करने के लिए बैंक यह LTV रेश्यो (loan ke liye LTV ratio kyo jruri hai) जानते हैं। इसे देखकर बैंक लोन संबंधी नियम और शर्तें भी तय करता है। इस रेश्यो की लोन में अहम भूमिका होती है।
इन बातों का रखें ध्यान–
मेंटेन रखें सिबिल स्कोर का यह आंकड़ा : आमतौर पर 750 व 900 के बीच सिबिल स्कोर (Good CIBIL Score) को अच्छा माना जाता है और लोन लेते समय आपको परेशानी नहीं होगी व सस्ती ब्याज दर पर लोन मिल जाएगा। 750 से कम सिबिल स्कोर (acha cibil score kitna hota hai) आपके लिए लोन मिलने की राह में परेशानी बन सकता है। इसलिए फटाफट लोन मिल जाए, इसके लिए आप 750 या इससे ऊपर का सिबिल स्कोर मेंटेन रखें।
क्रेडिट बिलों के भुगतान में न करें देर-
सिबिल स्कोर एक तीन अंकों की संख्या है, जो 300 से 900 के बीच होती है और यह आपके लोन लेने की क्षमता को दर्शाता है। यह स्कोर आपके क्रेडिट इतिहास पर आधारित होता है, जिसमें देखा जाता है कि आपने पुराने लोन और क्रेडिट कार्ड बिलों (credit card bills) का भुगतान समय पर किया या नहीं। यदि आप समय पर कर्ज चुकाते हैं, तो सिबिल स्कोर बढ़ता है। वहीं, भुगतान में देरी या डिफॉल्ट करने पर स्कोर गिरता है, जो आपके लोन आवेदन को नकारात्मक प्रभावित कर सकता है। अच्छा सिबिल स्कोर वित्तीय स्थिरता का प्रतीक है। (cibil score khrab hone ke karn)
अच्छे CIBIL Score से हाेंगी कई टेंशन दूर-
सिबिल स्कोर खराब होने के जितने नुकसान हैं, इसके अच्छे होने के उतने ही लाभ भी हैं। बैंकों के लिए यह स्कोर एक महत्वपूर्ण कसौटी होता है, जिस पर बैंक अपने ग्राहक को पहले चेक करता है कि ग्राहक को लोन लेन योग्य है या नहीं। अच्छा सिबिल स्कोर होने पर आपको लोन जल्दी और कम ब्याज दर पर मिल सकता है। साथ ही, कई बार बैंक आपको पहले से मंजूर किए गए लोन यानी प्री अप्रूव्ड लोन (pre approved loan kaise milega) के ऑफर भी दे सकते हैं। सिबिल स्कोर अच्छा होने का सबसे बड़ा फायदा आपको यह भी मिल सकता है कि कुछ मामलों में तो आप इंस्टेंट लोन (instant loan rules) भी पा सकते हैं, यानी उधर से लोन फटाफट पास और इधर से झट से पैसे आपके खाते में आ जाएंगे।
खराब CIBIL Score के चलते होगा सब काम खराब-
यदि आपका सिबिल स्कोर खराब है, तो लोन प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। बैंक आपकी क्रेडिट हिस्ट्री की जांच करते हैं, जिसके कारण लोन मिलने में कठिनाई हो सकती है। इसके अलावा, आपको अधिक ब्याज दरों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे आपकी वित्तीय स्थिति प्रभावित हो सकती है। घर या कार के लोन के लिए आवेदन करने पर, प्रक्रिया में देरी या कठिनाई हो सकती है। हालांकी, सिबिल स्कोर सुधारने (cibil score ko kaise sudhare) के लिए नियमित भुगतान, कर्ज़ की राशि कम करना और क्रेडिट (Credit uses) उपयोग को नियंत्रित करना आवश्यक है। अपने स्कोर को सुधारने से भविष्य में लोन मिलने (loan manjoor kaise hoga) में आसानी होगी।
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