Supreme Court : सर्वोच्च अदालत ने बताया- तलाक के बाद किस आधार पर मिलेगा गुजारा भत्ता और कितना

My job alarm –  (supreme court on alimony)  आजकल कुछ ही शादियां ऐसी बची है जो कि अंत तक चल सकती है। बहुत से लोग ऐसे भी होते है जो कि पहले तो जल्दबाजी में ये शादी जैसा जरूरी फैसला ले लेते है लेकिन बाद में विचार व्यवहार न मिलने पर नौबत तलाक तक पहुंच जाती (family disputes) है। अब अगर तलाक और उसके बाद दिए जाने वाले गुजारे भत्ते की अगर बात करें तो इसके लिए क्या नियम कानून तय है इसके बारे में आपको जानकारी जरूर होनी चाहिए। देश की अधिकतर जनता को इसके नियमों (rules of alimoney in India)  के बारे में जानकारी ही नही होती है। ऐसे ही एक माामले पर सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा था कि गुजारा भत्ता के लिए एक गाइडलाइन (A guideline for alimony) तय की जाए। 

देश के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली बेंच ने कहा है कि याचिकाकर्ता ने जो सवाल उठाया है उस पर सुप्रीम कोर्ट (supreme court news) द्वारा पहले ही विचार किया जा चुका है और उस पर फैसला भी दिया जा चुका है। चीफ जस्टिस की कोर्ट में हिंदी में सुनवाई हुई और फिर अदालत ने कहा कि गुजारा भत्ता के लिए गाइडलाइंस (supreme court guidelines) पहले से जारी हो रखा है और अर्जी खारिज कर दी।

क्या थी याचिका 

अगर इस पूरे मामले या फिर याचिका की हम बात करें तो इस पर याचिकाकर्ता ने कहा था कि गुजारा भत्ता के लिए सीआरपीसी की धारा-125 (Section 125 of CrPC), हिंदू मैरिज एक्ट (Hindu Marriagee act)  और डीवी एक्ट आदि के तहत जूरिडिक्शन बनता है और इन तमाम मामलों को एक छतरी के नीचे लाया जाना चाहिए। क्योंकि इन तमाम प्रावधानों के कारण कई जूरिडिक्शन का पक्षकारों द्वारा इस्तेमाल (Use of jurisdiction by parties) होता है। लेकिन कई बार इस पर विरोधाभासी आदेश तक पारित हो जाते हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (Chief Justice of Supreme Court) यूयू ललित की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि शीर्ष अदालत ने इस मामले को पहले ही देखा है और तत्कालीन जस्टिस इंदू मल्होत्रा की अगुवाई वाली बेंच ने फैसला दिया था। यह तय किया जा चुका है कि यदि महिला को किसी कानून के तहत गुजारा भत्ता मिल रहा है तो उसे अन्य फोरम के तहत अतिरिक्त गुजारा भत्ता (alimony to women) नहीं मिलेगा।

याचिका दायर करने वाले के लिए बताया गया है कि चीफ जस्टिस ने कहा कि नवंबर 2020 में तत्कालीन जस्टिस इंदू मल्होत्रा की अगुवाई वाली बेंच ने गुजारा भत्ता के लिए गाइडलाइंस (Guidelines for Alimony in India) तय कर रखी है और ऐसे में इस मामले में दाखिल याचिका खारिज की जाती है।

सुप्रीम कोर्ट की ओर से गुजारा भत्ता को लेकर ये है प्रमुख गाइडलाइंस-

-सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजारा भत्ता के लिए अदालत में आवेदन दाखिल करने की तारीख से ही गुजारा भत्ता (alomoney rules in India) तय होगा।

-सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक विवाद के मामले (matrimonial dispute cases in India) में गुजारा भत्ता और निर्वाह भत्ता (subsistence allowance) तय करने के लिए अहम फैसला दिया हुआ है और कहा है कि दोनों पार्टियों को कोर्ट में कार्यवाही के दौरान अपनी असेट और लाइब्लिटी ( संपत्ति और अपने खर्चे यानी देनदारियों) का खुलासा अनिवार्य तौर पर करना होगा।

-सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अलग-अलग कानूनी प्रा‌वधान (legal provisions of divorce in India) है जिसके तहत पक्षकारों द्वारा गुजारा भत्ता का दावा किया जाता है। इनमें सीआरपीसी की धारा-125, हिंदू मैरिज एक्ट, हिंदू एडॉप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट (Hindu Adoption and Maintenance Act) व घरेलू हिंसा कानून (domestic violence law) के तहत गुजारा भत्ता का दावा (maintenance claim) किया जाता है। इन मामलों में पहले अलग-अलग फैसले हुए हैं।

– बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में देश भर की जिला अदालतों, फैमिली कोर्ट के लिए गाइडलाइंस (Guidelines for Family Court) जारी किए हैं कि किस तरह से गुजारा भत्ता के मामले में आवेदन होगा और कैसे मुआवजे की रकम का भुगतान होगा।

– इसके अलावा, हाई कोर्ट ने भी कई बार फैसला दिया कि ये सब कार्यवाही अलग-अलग है ऐसे में आपको बता दें कि मुआवजे की राशि (amount of compensation)  दूसरे केस से एडजस्ट नहीं होगा। वहीं अन्य फैसले में कहा गया कि एडजस्ट होना चाहिए। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस तरह के विरोधाभास को खत्म करने के लिए हम निर्देश जारी करते हैं कि जब भी मामले में गुजारा भत्ता के लिए अर्जी दाखिल किया जाए तो पहले की कार्यवाही के बारे में खुलासा किया जाए और तब कोर्ट पिछले गुजारा भत्ता या आदेश को देखकर अपने फैसले में विचार करेगी और एडजस्ट कर सकती है।

– बाकी जरूरी बातों के बारे में बता दें कि दोनों पार्टियों को इनकम, खर्च के अलावा जीवन यापन के स्टैंडर्ड के बारे में दस्तावेज देना होगा ताकि उस हिसाब से स्थायी एलमनी तय हो। खर्च के तौर पर बच्चों की शादी के होने वाले खर्च को भी इसमें शामिल करना होगा। बच्चे की शादी का खर्च पति की हैसियत और कस्टम के हिसाब से तय (expenses on children after divorce) होगा।

–सुप्रीम कोर्ट (supreme court) का ये भी कहना था कि था इसके लिए कोई स्ट्रेटजैक फॉर्मूला नहीं है कि कैसे गुजारा भत्ता तय होगा। ये पार्टियों के स्टेटस पर निर्भर है साथ ही पत्नी की जरूरत, बच्चों की पढ़ाई, पत्नी प्रोफेशनल तरीके से पढ़ी है या नहीं, उसकी आमदनी क्या है, क्या उसकी आमदनी से जीवन निर्वाह हो सकता है, क्या शादी से पहले से नौकरी थी, क्या शादी के दौरान नौकरी में थी, क्या नॉन वर्किंग है इन तमाम बिंदुओं को देखना होगा।

–सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि जिस तारीख को गुजारा भत्ता के लिए आवेदन दाखिल (Application filed for maintenance allowance)  किया जाएगा उसी तारीख के हिसाब से गुजारा भत्ता तय होगा। अदालत ने कहा कि मेंटेनेंस और एलमनी का जो भी आदेश होगा उसे पालन कराना सुनिश्चित करना होगा और आदेश का पालन नहीं होने की स्थिति में आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कंटेप्ट ऑफ कोर्ट होगा।
 

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