Supreme Court Decision : सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप में रहने वालों को दिए ये 5 अधिकार
My job alarm – (Live-in-Relationship) लिव इन रिलेशनशिप एक बडा मुद्दा है जो पश्चिम के देशों के अत्यंत प्रचलित है और धीरे धीरे यह विषय भारत में भी आम हो चला है। लिव इन रिलेशनशिप मैरिज का एक विकल्प है। यदि (supreme court verdict) दो व्यक्ति एक साथ पति पत्नी के तरह निवास कर रहे हैं और उन्होंने मैरिज नहीं की है तब इसे लिव इन रिलेशनशिप कहा जाता है। इसे लेकर भी भारत में लॉ है। बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन-रिलेशनशिप को लेकर एक अहम फैसला सुनाया था।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में कहा कि यदि बिना शादी के दो लोग साथ रहते हैं तो इस आधार पर इस रिश्ते से पैदा होने वाले बच्चों को भी पैतृक संपत्ति पर हक मिलेगा। यह मामला केरल हाईकोर्ट से था। सन् 2009 में केरल हाईकोर्ट ने इस मामले में बच्चे को पैतृक संपत्ति पर (sc verdict on live in relationship) अधिकार देने से मना कर दिया था। इसी के चलते सुप्रीम कोर्ट में इस केस की सुनवाई के दौरान कहा गया कि लिव-इन-रिलेशन से पैदा हुए बच्चे को भी पैतृक संपत्ति पर हक देने से रोका नहीं जा सकता है। अब जानते हैं कि आखिर लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वाली महिला साथी और बच्चों को किस तरह के अधिकार मिलते हैं। आइए जानते हैं इन सारे सवालों के जवाब-
सवाल:- लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला साथी और इस दौरान होने वाले बच्चों के क्या अधिकार होते हैं?
जवाब:- इस सवाल के जवाब में भारतीय न्यायपालिका ने कहा कि लिव-इन-रिलेशन और इन संबंधों से पैदा होने वाले बच्चों (sc verdict on ancestral property rights) को सुरक्षा प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही महिला साथी के अधिकारों को भी बरकरार रखा गया है। अदालतों में कई मामलों में संपत्ति के उत्तराधिकार के लिए लिव-इन-रिलेशन में रहने वाली महिला को सुरक्षा प्रदान की गई है।
सवाल:- क्या लिव इन रिलेशनशिप में भरण-पोषण का अधिकार है?
जवाब:- CRPC की धारा-125 के तहत भरण-पोषण का अधिकार मिलता है । इस धारा के तहत लिव-इन रिलेशनशिप में भी (live in couple) भरण-पोषण का अधिकार दिया जाता है। अविवाहित जोड़े के एक सदस्य द्वारा अलग होने के बाद दिया जाने वाला मुआवजा पॉलिमेनी कहलाता है। इस धारा के तहत कानून पॉलिमेनी का भी अधिकार देता है।
सवाल:- क्या CRPC की धारा-125 लिव इन रिलेशनशिप की महिलाओं पर लागू होती है ?
जवाब:- चानमुभिया Vs वीरेंद्र कुशवाहा केस में सुप्रीम कोर्ट ने CRPC की धारा 125 के तहत लिव-इन-रिलेशनशिप में महिाल के भरण-पोषण का अधिकार दिया है। एक महिला को लिव इन रिलेशनशिप में इस अधिकार के पीछे तर्क सुनिश्चित करना है कि एक पुरुष उस विवाह की जिम्मेदारियों कानून खामियों का लाभ नहीं उठाता है।
सवाल:- लिव इन रिलेशनशिप में संपत्ति विरासत में महिलाओं का क्या अधिकार है ?
जवाब:- धन्नूलाल वर्सेज गणेशराम केस में अदालत ने संपत्ति विवाद को निपटाने के लिए अपने लिव इन पार्टनर की मृत्यु के बाद उसके साथ लिव-इन में रह रही महिला साथी की संपत्ति के अधिकार में पुष्टि की है. इस मामले में परिवार के सदस्यों ने दलील दी है कि उसके दादा पिछले 20 साल से उस महिला के साथ रह रहे थे. उनके दादा ने उस महिला से शादी नहीं की थी इसलिए वह उनकी मृत्यु के बाद संपत्ति की अधिकारी नहीं थीं. कोर्ट ने इसके विपरीत फैसला दिया और कहां कि जहां पुरुष और महिला एक पति और पत्नी के रूप में एक साथ रह रहे थे उस स्थिति में कानून मानता है कि वह एक वैध विवाह में एक साथ रह रहे हैं.
सवाल:- लिव इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चों की कानूनी स्थिति क्या है?
जवाब:- बालसुब्रमण्यम वर्सेज सुरत्तयन में लिव इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चों को पहली बार वैधता का दर्जा मिला. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई पुरुष और महिला काफी सालों तक साथ रहते हैं तो एविडेंस एक्ट की धारा 114 के तहत इसे शादी माना जाएगा. इसलिए उनसे पैदा हुए बच्चों को भी वैध माना जाएगा और पैतृक संपत्ति में हिस्सा प्राप्त करने का अधिकार मिलेगा।
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