Success Story: UPSC की फैक्ट्री है यूपी का ये गांव, सिर्फ 75 घरों वाले गांव से निकल चुके हैं 47 अफसर

My job alarm (ब्यूरो)। संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी की परीक्षा (UPSC Civil services exam) को दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। हर साल लाखों छात्र इस परीक्षा में अपनी किस्मत आजमाते हैं, लेकिन उनमें से केवल 1000 या 1200 ही सफल होते हैं। इनमें से कुछ आईएएस (IAS), कुछ आईपीएस (IPS), कुछ आईएफएस (IFS) और कुछ आईआरएस (IRS) बनते हैं। आज इस खबर में हम आपको एक खास गांव के बारे में बताएंगे, जिसे यूपीएससी की फैक्ट्री कहा जाता है। इस गांव से निकले आईएएस और आईपीएस अधिकारी इतनी संख्या में हैं कि जानकर हर कोई हैरान रह जाता है।

 

यूपीएससी के सपनों का गढ़

इस गांव का नाम है माधोपट्टी, जो उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में स्थित है। जौनपुर शहर से लगभग 7 किलोमीटर दूर बसे इस गांव में अब तक 40 से अधिक आईएएस (how to become IAS) , आईपीएस और पीसीएस अधिकारी पैदा हो चुके हैं। इन अधिकारियों में से कई ऐसे हैं जो आज भी बड़े-बड़े पदों पर तैनात हैं और न सिर्फ अपने गांव, बल्कि पूरे जिले का नाम भी रोशन कर रहे हैं। माधोपट्टी की इस सफलता की कहानी केवल प्रशासनिक सेवाओं (Civil services exam tips) तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह शिक्षा और सामाजिक साक्षरता के क्षेत्र में भी प्रेरणादायक है।

 

गांव की जनसंख्या और परिवार की अहम भूमिका

इस गांव की कुल आबादी लगभग 4000 है, जिसमें करीब 75 घर हैं। दिलचस्प बात यह है कि यहां के युवा न सिर्फ अपनी पढ़ाई में उत्कृष्टता दिखाते हैं, बल्कि लड़कियां और बहुएं भी इस क्षेत्र में सक्रिय रूप से भाग लेती हैं। गांव के माता-पिता अपने बच्चों को शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि उनके बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ें और उन्हें यूपीएससी की तैयारी (UPSC exam strategy) के लिए आवश्यक संसाधन मिलें। इस प्रकार, गांव का हर परिवार अपने बच्चे के भविष्य के प्रति संजीदा रहता है।

 

यूपीएससी के प्रति बढ़ता क्रेज

माधोपट्टी गांव (madhopatti village) में अधिकारियों बनने का सिलसिला आज़ादी के बाद ही शुरू हुआ था। 1952 में इंदु प्रकाश सिंह पहले आईएफएस अधिकारी बने, जबकि 1955 में विनय कुमार सिंह ने आईएएस बनकर बिहार राज्य के मुख्य सचिव का पद संभाला। इन अधिकारियों की सफलता ने गांव के अन्य युवाओं में यूपीएससी (UPSC exam tips)  के प्रति एक नया उत्साह पैदा किया। तब से लेकर अब तक, इस गांव ने अनेक प्रतिभाओं को जन्म दिया है। यहां के चार भाई-बहन भी यूपीएससी परीक्षा में सफल हुए हैं, बता दें, कुछ आईएएस बने हैं तो कुछ आईपीएस। यह एक ऐसा उदाहरण है जो दिखाता है कि यदि परिवार और समाज का समर्थन हो, तो सफलता की ऊंचाइयों को छूना संभव है।

 

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान

माधोपट्टी गांव के युवा अब सिर्फ भारत के भीतर ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बना रहे हैं। यहां के कई युवा पीएम (PM) और सीएम कार्यालयों में कार्यरत हैं, और कुछ युवा इसरो, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और वर्ल्ड बैंक में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। 

 

समाज में बदलाव का प्रतीक

माधोपट्टी की कहानी सिर्फ एक गांव की सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह समाज में बदलाव का प्रतीक भी है। यह दर्शाता है कि शिक्षा (success story in hindi)  और प्रशासनिक सेवाओं के प्रति जागरूकता कैसे एक छोटे से गांव को एक अद्भुत पहचान दिला सकती है। इस गांव ने यह साबित कर दिया है कि यदि हिम्मत और जुनून हो, तो संसाधनों की कमी भी सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकती। इस गांव से निकले युवा न केवल अपने व्यक्तिगत (where is madhopatti village) सपनों को साकार कर रहे हैं, बल्कि वे अपने गांव और समाज के लिए भी एक मिसाल बनते जा रहे हैं।

 

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