लोन नहीं भर पाने वालों को RBI ने दिए 5 अधिकार, मुश्किल में आएंगे काम

My job alarm – इनकम टैक्स डिपार्टमेंट लोन डिफॉल्टर्स (loan defaulters) के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रहा है. हालांकि, यदि कोई आम आदमी अपने होम या पर्सनल लोन की ईएमआई नहीं चुका पाता, तो बैंक या लोन देने वाली कंपनी उसे परेशान नहीं कर सकती. इसके पीछे कई नियम हैं जो उनकी हरकतों को नियंत्रित करते हैं. आपके पास कानून के तहत कई अधिकार हैं जिन्हें जान लेना आपके लिए जरूरी है-

 नोटिस का अधिकार-

डिफॉल्ट करने से आपके अधिकार छीने नहीं जा सकते, और न ही इससे आप अपराधी बनते हैं. जब आप लोन चुकाने में असमर्थ होते हैं, तो बैंकों को एक निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना होता है. पहले, वे आपको लोन चुकाने का समय देते हैं। यदि आप चुकता नहीं करते हैं, तो बैंकों द्वारा सरफेसी एक्ट (sarfaesi act) के तहत कार्रवाई की जाती है. यदि आपका कर्ज नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) घोषित होता है, तो आपको 60 दिन का नोटिस दिया जाएगा. इसके बाद, संपत्ति की बिक्री के लिए बैंक को 30 दिनों का पब्लिक नोटिस भी देना होगा, जिसमें बिक्री की पूरी जानकारी शामिल होगी. इस प्रक्रिया के दौरान, आपको उचित अधिकार और समय मिलने का प्रावधान है.

सही कीमत सुनिश्चित करने का अधिकार-

यदि आप 60 दिनों की नोटिस अवधि के दौरान अपनी बकाया रकम का भुगतान या जवाब नहीं देते, तो लेंडर आपकी संपत्ति की नीलामी शुरू कर सकता है. नीलामी से पहले, लेंडर को आपको एक सूचना भेजनी होगी, जिसमें बैंक के वैल्युअर्स द्वारा संपत्ति की वैल्यू, रिजर्व प्राइस, नीलामी की तिथि और समय जैसी जानकारी शामिल होगी. यदि संपत्ति की वैल्यू (property value) कम आंकी गई है, तो आप अपनी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं. इसके अलावा, आप बेहतर मूल्य के लिए संभावित खरीदारों को खोज सकते हैं और उन्हें लेंडर से मिलवा सकते हैं, जिससे आपकी स्थिति में सुधार हो सकता है.

 बाकी रकम हासिल करना-

आपकी संपत्ति पर बैंक या फिर कर्ज देने वाली कंपनी का कब्जा होने के बाद यह न सोचें कि वह आपके हाथ से पूरी तरह निकल गई. नीलामी की प्रक्रिया पर नजर रखें. इन दिनों यह आसान हो गया है ज्यादातर बैंक या फिर कर्ज देने वाली कंपनियां ई-ऑक्शन (e-auction) कराती हैं. बैंक को अपनी बकाया रकम वसूलने के बाद बाकी बची किसी भी रकम को रिफंड करना होता है.

 सुनवाई का अधिकार-

नोटिस की अवधि के दौरान आप ऑथराइज्ड अधिकारी (authorized officer) के सामने अपनी बात रख सकते हैं और उसे संपत्ति पर कब्जे के नोटिस (notice of possession) को लेकर अपनी आपत्तियों की जानकारी दे सकते हैं. अधिकारी को सात दिनों के अंदर इसका जवाब देना होता है. अगर वह आपकी आपत्ति को खारिज करता है तो उसे इसके लिए वैध कारण बताने होंगे.

 मानवीय व्यवहार का अधिकार-

आरबीआई (Reserve Bank Of India) का बैंकों पर नियंत्रण है, जिससे वे साहूकारों की तरह बकाया रकम की वसूली नहीं कर सकते. ऋण वसूली एजेंटों की द्वारा ग्राहकों को प्रताड़ित करने की घटनाओं के चलते, आरबीआई ने बैंकों को सख्त चेतावनी दी थी. इसके परिणामस्वरूप, बैंकों ने ग्राहकों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं का पालन करने का निर्णय लिया. ऋण वसूली (debt recovery) के लिए एजेंट केवल बैंक द्वारा निर्धारित स्थानों पर संपर्क कर सकते हैं; यदि ऐसा स्थान नहीं है, तो वे केवल संपत्ति (property) के घर या कार्यस्थल पर जा सकते हैं. एजेंटों को ग्राहक की प्राइवेसी का ध्यान रखना आवश्यक है और उनकी गतिविधियां सुबह सात बजे से शाम सात बजे के बीच सीमित रहनी चाहिए.

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