property rights : मामा नहीं दे रहा मां को प्रोपर्टी में हिस्सा, जानिये कैसे ले सकते हैं अपना हक
My Job Alarm – (Property rights) : संपत्ति को लेकर विवाद (dispute over property) होना आम बात है क्योंकि यहां के लोगों को अपने अधिकारों और संपत्ति नियमों (property rules) के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। प्रोपर्टी विवाद हर तीसरे घर की समस्या है। ऐसे में आज हम आपको बताने वाले हैं कि यदि कोई भाई अपनी विवाहित बहन को अपने पिता की संपत्ति (father’s property) में हिस्सा देने से इंकार कर दें। तो क्या आप जानते हैं कि ऐसी स्थिति में आप क्या कर सकते हैं।
वैसे तो बेटियों को अपने माता-पिता की संपत्ति में बेटों के समान अधिकार है। चाहे वह शादीशुदा हो या नहीं, लेकिन अक्सर देखा जाता है कि जब बेटियां संपत्ति (Property Knowledge) में अपने हक की बात करती हैं तो भाई उन्हें यह हक देने से कतराते हैं। आईये नीचे जानते हैं अगर मामा प्रोपर्टी में हिस्सा देने से मना कर दें तो अपने हिस्से की प्रोपर्टी कैसे ले सकते हैं।
सवाल- क्या मेरे मामा अपने पिता की संपत्ति में मेरी मां को हिस्सा (women property rights in india) देने से इस आधार पर इनकार कर सकते हैं कि यह पैसा उनकी शादी में खर्च हुआ था और इसलिए उनका संपत्ति पर कोई दावा नहीं है?
जवाब- कानून के मुताबिक यदि आपके नाना की मृत्यु बिना वसीयत के हुई है, तो आपकी मां, मामा, नानी सहित उनके सभी क्लास-1 कानूनी उत्तराधिकारियों को संपत्ति में बराबर हिस्सा मिलेगा। आपकी माँ की शादी के खर्च, उपहार आदि से संपत्ति पर उनके अधिकार पर कोई असर नहीं पड़ता। हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 के अनुसार, एक बेटी को अपने पिता की संपत्ति पर बेटे के समान अधिकार है। इसलिए आपकी मां आपके पिता की संपत्ति पर दावा कर सकती हैं।
सवाल- कोरोना के बाद मेरी नौकरी छूट गई और तब से मुझे दूसरी नौकरी नहीं मिली। तो ऐसे में मैं अब अपने माता-पिता के साथ रहता हूं, लेकिन वे अब मुझे आर्थिक रूप से समर्थन नहीं देना चाहते। वह कहता है कि मुझे घर छोड़ देना चाहिए। मेरे माता-पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी है और उनके पास 2 संपत्तियां भी हैं। लेकिन वे मुझे इन संपत्तियों में हिस्सा देने से इनकार कर रहे हैं।’ मेरा एक बड़ा भाई भी है जो आर्थिक रूप से सक्षम है और अलग जगह पर रहता है। क्या मैं अपने पिता की स्वयं अर्जित संपत्तियों पर दावा कर सकता हूं?
जवाब- मान लीजिए कि आपके पिता हिंदू हैं और उनकी संपत्ति (self acquired property) स्व-अर्जित है यानी पैतृक नहीं बल्कि अपने पैसे से बनाई गई है। ऐसे में जब तक वे जीवित हैं, आप उनकी स्व-अर्जित संपत्तियों पर दावा नहीं कर सकते। इसके अतिरिक्त, वे इन संपत्तियों को वसीयत के माध्यम से जिसे चाहें उसे दे सकते हैं। और आप इसमें चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते। यदि आपके पिता की मृत्यु वसीयत लिखे बिना हो जाती है, तो आप इन संपत्तियों पर क्लास-1 कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में दावा कर सकते हैं। यदि आपके पिता ने वसीयत नहीं लिखी है और उनकी मृत्यु हो जाती है, तो उनके सभी क्लास-1 कानूनी उत्तराधिकारियों (आपको, आपके बड़े भाई और आपकी मां) को इन संपत्तियों में बराबर हिस्सेदारी मिलेगी।
सवाल- मैं और मेरे पति शादी के तीन साल बाद अलग होने जा रहे हैं। तलाक का मामला अभी भी लंबित है। मेरे पति अब मुझ पर शादी के समय मिले आभूषण, नकदी आदि सभी उपहार वापस करने का दबाव बना रहे हैं। मैं जानना चाहती हूं कि शादी के समय मुझे मिले ये उपहार मेरे स्त्रीधन के दायरे में आते हैं या नहीं? क्या मुझे तलाक पर फैसला होने से पहले इसे लौटाना होगा।
जवाब- नहीं, आपको शादी के समय मिला उपहार वापस करने की जरूरत नहीं है। शादी के समय आपको अपने माता-पिता, परिवार और दोस्तों से जो भी उपहार मिलता है वह स्त्रीधन है। आपके पति का उन पर कोई दावा नहीं है और आपको उन्हें वापस करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
लड़की को शादी के समय जो उपहार और आभूषण मिलते हैं, उन्हें स्त्रीधन कहा जाता है। इसके अलावा फर्नीचर, टीवी, फ्रिज या अन्य चीजें जो लड़के और लड़कियों दोनों को आम इस्तेमाल के लिए दी जाती हैं, वह भी स्त्रीधन के दायरे में आती हैं। इस पर सिर्फ लड़की का ही हक होता है। और आपको बता दें कि शादी से जुड़ी सभी रस्मों और समारोहों के दौरान एक महिला को जो भी उपहार मिलता है, चाहे वह चल या अचल संपत्ति हो या कोई अन्य उपहार, उस पर महिला का अधिकार होता है।
इसका मतलब यह है कि सगाई, गोद भराई, बारात, शादी या बच्चों के जन्म आदि पर मिलने वाले उपहार स्त्रीधन के अंतर्गत आएंगे। स्त्रीधन पर केवल महिला का ही अधिकार है, भले ही धन उसके पति या ससुराल वालों के पास हो। यदि किसी सास को स्त्रीधन अपनी बहू से विरासत में मिला है और वह बिना किसी वसीयत के मर जाती है, तो स्त्रीधन होने के कारण उस धन पर केवल बहू का ही (legal rights) कानूनी अधिकार होता है, बेटे या किसी अन्य का नहीं। परिवार का अन्य सदस्य है।
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