Property Rights : पिता के जाने के बाद पैतृक संपत्ति में बेटी का कितना हक, हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
My job alarm – (Property Rights): संपत्ति में बेटा-बेटी के अधिकारों को लेकर कानून में खासतौर से प्रावधान किया गया है। ये प्रावधान स्वअर्जित संपत्ति और पैतृक संपत्ति को लेकर भिन्न हैं। हाल ही में हाई कोर्ट (High Court Decision) ने पैतृक संपत्ति में पिता की मौत के बाद बेटी के अधिकार को लेकर अहम निर्णय दिया है। कोर्ट का यह निर्णय उन पीड़ितों के लिए भी अहम साबित होगा जो पति या पिता की मौत के बाद असहाय हो जाती हैं और उन्हें संपत्ति से बेदखल कर दिया जाता है। इस खबर में जानिये पूरी मामले को।
कोर्ट ने यह सुनाया फैसला
कोर्ट के सुनाए गए फैसले के अनुसार पिता की मौत के बाद भी पैतृक संपत्ति में बेटे की तरह ही बेटी भी अपना हिस्सा पाने की हकदार होती है। एक मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। पति की आकस्मिक मौत के बाद बेसहारा हुई मां-बेटी को बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur Hig Court) ने न्याय दिया है। अपने सुनाए गए फैसले में कोर्ट ने पैतृक संपत्ति से होने वाली कमाई से बेटी को 30 हजार रुपए भरण पोषण राशि देने का आदेश दिया है।
हाई कोर्ट ने की यह टिप्पणी
यह निर्णय घरेलू हिंसा महिला संरक्षण अधिनियम 2005 (Domestic Violence Women Protection Act 2005) की धाराओं को ध्यान में रखते हुए दिया है। फैसले के दौरान टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि बेशक नाबालिग ने इसके लिए आवेदन नहीं दिया, लेकिन वह पैतृक संपत्ति में बेटे की तरह ही अपना हिस्सा ले सकती है।
यह था पूरा मामला
हाई कोर्ट (bilaspur highcourt news) में आए एक मामले के अनुसार पति की मौत के बाद ससुराल में पत्नी के साथ बुरा बर्ताव होने लगा। साथ ही नाबालिग बेटी भी बेसहारा थी। इतना ही नहीं बेटी के साथ मारपीट तक की गई। विवाद ज्यादा बढ़ जाने पर इस मामले की थाने में शिकायत की गई। शिकायत पुलिस में पहुंची तो मृतक की बेटी को उसके पिता के नाम का घर व खेत की जमीन में हक (Daughter’s right in father’s property) देने की बात कही।
मृतक की पत्नी ने की थी यह मांग
इस मामला यहीं नहीं रुका, कुछ दिन बाद उसे बेदखल कर दिया गया। इस पर मृतक की पत्नी ने अपनी बेटी को भरण पोषण के लिए राशि दिलाने की मांग की। इस पर नाबालिग न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 5 हजार रुपए मृतक की नाबालिग बेटी को प्रति माह देने का अंतरिम आदेश दिया। ये आदेश मृतक की पत्नी द्वारा आवेदन करने पर घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत दिए गए।
मृतक के भाई ने की थी अपील
हाई कोर्ट से पहले यह मामला जिला कोर्ट में चला। जिला कोर्ट में आए फैसले के विरोध में मृतक के भाई व एक अन्य ने अपील दायर की थी। उनके द्वारा दायर की गई गई अपील पर जस्टिस पीपी साहू (Justice PP Sahu) की कोर्ट ने सुनवाई की थी। पूरे मामले की तह में जाने के बाद हाईकोर्ट के सामने आया कि मृतक का पिता व मां पेंशनधारक थे। गांव में 7 एकड़ खेती की भूमि के अलावा उनके नाम मकान भी है। यह पैतृक संपत्ति थी।
पैतृक संपत्ति पर था अपीलकर्ताओं का कब्जा
इस पैतृक संपत्ति (ancestral property rights) पर अपीलकर्ताओं द्वारा कब्जा कर व्यवसाय से कमाई की जा रही थी। पूरे मामले की सुनवाई करने के बाद हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट के आदेश को सही ठहराया। साथ ही फैसला सुनाते हुए पैतृक संपत्ति की कमाई में से 30 हजार रुपए मृतक की बेटी को देने के आदेश भी दिए। कोर्ट ने कहा कि इस पैतृक संपत्ति में मृतक की बेटी (daughter’s rights in ancestral property) का समान रूप से हक है।
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