Property Knowledge : मकान मालिक रहे सावधान, इतने साल बाद किरायेदार कर सकता हैं मकान पर कब्जा
My job alarm – (Property Knowledge) : देश में लाखों लोगों के लिए मकान और दुकानें किराये पर देना अतिरिक्त आय का बड़ा जरिया है। खासकर बड़े शहरों और महानगरों में लोग घर के किराये से अच्छी खासी कमाई कर लेते हैं. लेकिन, किराये के इस खेल में कई ख़तरे हैं, सबसे बड़ा ख़तरा प्रॉपर्टी पर कब्ज़ा करने का है। और कभी-कभी कुछ किरायेदार सालों तक किराए पर रहने के बाद मालिक की संपत्ति पर अधिकार (Landlord rights and tenancy rules) का दावा करने लगते हैं। सीधे शब्दों में कहें, कब्जा करो। ऐसे में मकान मालिक की एक छोटी सी गलती बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है।
दरअसल, संपत्ति कानून में कुछ प्रावधान ऐसे भी हैं। जिनका हवाला देकर किरायेदार मकान मालिक की संपत्ति पर अधिकार (rights to property) का दावा कर सकता है। ऐसे में हर मकान मालिक को इस बात की जानकारी होना जरूरी है। वहीं आपको बता दें कि संपत्ति से जुड़े कानून (property related laws) में यह प्रावधान है कि एक निश्चित समय के बाद किरायेदार संपत्ति पर मालिकाना हक का दावा कर सकता है। हालांकि, यह आसान नहीं है लेकिन मकान मालिक की एक गलती किरायेदार को यह मौका दे सकती है।
जानिए किरायेदार के कब्जे के बारे में कानून क्या कहता है?
एक रिपोर्ट के मुताबिक आपको बता दें कि भारत में एक किरायेदार लगातार 12 साल तक घर में रहने के बाद उस पर मालिकाना हक का दावा कर सकता है, इसे संपत्ति पर प्रतिकूल कब्ज़ा (adverse possession of property) कहा जाता है। प्रतिकूल कब्जे की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब संपत्ति पर पट्टा समाप्त हो जाता है या मकान मालिक किराये के समझौते की शर्तों पर चूक करता है। और वहीं परिसीमा अधिनियम 1963 के अनुसार, निजी संपत्ति के स्वामित्व का दावा करने की समय अवधि 12 वर्ष है, जबकि सार्वजनिक संपत्ति के लिए इसे 30 वर्ष तक बढ़ा दिया गया है।
ऐसे उठाते हैं किरायेदार फायदा:
अक्सर कुछ किरायेदार इस कानून का फायदा घर के खिलाफ उठाने की कोशिश करते हैं. इस कानून के तहत यह साबित करना होगा कि संपत्ति पर लंबे समय से कब्जा है और सबूत के तौर पर कब्जाधारी को टैक्स, रसीदें, बिजली, पानी के बिल, गवाहों के हलफनामे के बारे में जानकारी देनी होगी।
मकान मालिकों को ये सावधानियां बरतनी चाहिए?:
मकान मालिकों को ऐसी स्थितियों से बचने के लिए हमेशा रेंट एग्रीमेंट या लीज डीड बनाकर प्रॉपर्टी किराए पर देनी चाहिए। रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) में किराए से लेकर बाकी सारी जानकारी लिखी होती है। चूंकि रेंट एग्रीमेंट 11 महीने के लिए होता है, इसलिए इसे हर साल समय पर रिन्यू करवाएं। रेंट एग्रीमेंट में एक छोटी सी गलती महंगी पड़ सकती है.
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