High Court ने मकान मालिक को दी राहत, किरायेदारों को बड़ा झटका
My job alarm – (High Court Decision) : अगर आप मकान मालिक हैं और आपके घर में किरायेदार रहता है या आपने कोई प्रॉपर्टी किराए पर दे रखी है तो यह आपके लिए जरूरी खबर है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने संपत्ति के मालिकाना (property owner rights) हक और किरायेदार के अधिकार (tenant rights) से जुड़े एक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। आइए जानते हैं हाईकोर्ट के इस अहम फैसले के बारे में….
इस फैसले के मुताबिक, अब मकान मालिक किरायेदार को अपना घर, दुकान आदि खाली करने के लिए कोई भी कारण बता सकता है। अगर कोई कारण नहीं बताया गया तो भी दुकान और मकान खाली करना होगा. किरायेदार इस पर कोई सवालिया निशान नहीं उठा सकता। हाई कोर्ट (high court) के इस फैसले से मकान मालिकों के अधिकार (landlords rights) मजबूत हुए हैं.
दरअसल पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) में एक केस चल रहा था। इसकी सुनवाई के दौरान ही कोर्ट ने यह आदेश दिया है कि मकान मालिक (property owner) के बताए गए कारण को किराएदार वास्तविक कारण मानते हुए संपत्ति खाली कर दें। कोर्ट ने कहा कि संपत्ति मलिक की अपनी जरूरत है और इन जरूरत को किराएदार तय नहीं कर सकता। मकान मालिक की जब मर्जी हो तब वह अपना मकान खाली करवा सकता है। जस्टिस दीपक गुप्ता का कहना है कि मकान खाली करने के लिए प्रॉपर्टी के मालिक को किराएदार को कोई कारण बताने की जरूरत नहीं है।
संपत्ति मालिक का दावा सही माना जाएगा
फैसले के मुताबिक, अगर प्रॉपर्टी मालिक कोई कारण बताता है तो किरायेदार को वह कारण मानना होगा। यदि किसी कारण से संपत्ति के मालिक (property owners) को अपनी संपत्ति की आवश्यकता है, तो वह किरायेदार से अपनी संपत्ति खाली करने के लिए कह सकता है। कोई यह कहकर मकान मालिक के तर्क का खंडन नहीं कर सकता कि वह अमीर है और उसे वैध कारण बताने होंगे। सतीश कुमार और कोमल लुधियाना के दो किराएदार हैं जिन्होंने याचिका दायर की थी।
हाईकोर्ट High Court ने इस पर सुनवाई की और याचिकाकर्ता के तर्क को खारिज किया गया। दरअसल याचिकाकर्ता ने दुकान खाली करने से मना करते हुए कहा था कि मकान मालकिन बूढी हो गई हैं वह व्यवसाय नहीं कर सकती। हाई कोर्ट में इस तर्क को खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि मकान मालिक के तर्क को वास्तविक माना जाए।
जानिए पूरा मामला
यह मामला 1996 का है, जब किरायेदार को 800 रुपये प्रति माह की दर से दुकान किराए पर दी गई थी। 2010 में जब किरायेदारों ने किराया नहीं दिया तो मकान मालिक ने उनसे दुकान खाली करने को कहा. इसके बाद दुकानदारों ने दुकान खाली नहीं की और मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया।
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