Gratuity Rules : नौकरी छोड़ने पर नहीं मिली ग्रेच्युटी, करें ये काम, तुरंत मिलेगा पैसा
My job alarm – (Eligibility For Gratuity) नौकरी के दौरान कर्मचारियों को सरकार द्वारा अनेकों लाभ दिए जाते हैं। वित्तीय लाभों में से एक महत्वपुर्ण ग्रेच्युटी का लाभ हैं। कईं लोगों के मन में सवाल आता हैं कि ग्रेच्युटी क्या होती हैं? इसी के चलते आपको बता दें कि ग्रेच्युटी वह राशि है जो किसी कर्मचारी को नियोक्ता (What is gratuity) द्वारा दी जाती है। जब कर्मचारी नौकरी छोडता हैं तो आमतौर पर ग्रेच्युटी मिलती हैं। हालांकि, कई बार नियोक्ता ग्रेच्युटी देने में आनाकानी करते हैं, जो कि ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 का उल्लंघन है।
लेकिन अगर कोई भी कर्मचारी अपने जीवन में किसी भी कंपनी में 4 साल 240 दिन तक काम कर लेता है, तो वह ग्रेच्युटी का हकदार हो जाता है। इस स्थिति में, नियोक्ता के लिए यह अनिवार्य है कि वह ग्रेच्युटी (gratuity rules) की राशि का भुगतान करे। यदि कंपनी इससे इनकार करती है, तो कर्मचारी के पास इसे प्राप्त करने के कानूनी विकल्प मौजूद होते हैं। ग्रेच्युटी कर्मचारियों का कानूनी अधिकार है। यदि नियोक्ता इसका भुगतान करने से इनकार करता है, तो कर्मचारी को कानून के (Gratuity working days) तहत अपने अधिकारों का प्रयोग करना चाहिए।
कितने समय में मिलता है ग्रेच्युटी का पैसा?
नौकरी छोड़ने के बाद, ग्रेच्युटी का पैसा पाने के लिए आवेदन करने के 30 दिनों के अंदर कंपनी को ग्रेच्युटी देनी होती है। अगर कंपनी समय (Payment and Gratuity Act) पर भुगतान नहीं करती, तो उसे ब्याज़ के साथ ग्रेच्युटी देनी होती है। अगर कंपनी ग्रेच्युटी नहीं देती, तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इसके साथ साथ उसे ब्याज सहित यह राशि देनी होती है।
क्या करें जब ग्रेच्युटी न मिले?
लीगल नोटिस भेजें: कर्मचारी के लिए यह बात ध्यान देने योग्य बात यह हैं कि यदि नियोक्ता समय पर ग्रेच्युटी नहीं देता है, तो सबसे पहले उसे कानूनी नोटिस भेजें।
कंट्रोलिंग अथॉरिटी से शिकायत: नोटिस के बावजूद भुगतान न होने पर, लेबर कमिश्नर ऑफिस में शिकायत दर्ज करें। आमतौर पर, असिस्टेंट लेबर कमिश्नर इस मामले में कंट्रोलिंग अथॉरिटी होते हैं।
ग्रेच्युटी दिलाने में अधिकारी की भूमिका –
अगर कर्मचारी ग्रेच्युटी का हकदार साबित होता है, तो अधिकारी नियोक्ता (How To Calculate Gratuity) को आदेश देता है कि वह 30 दिनों के भीतर भुगतान करे। यदि ऐसा नहीं होता है, तो अधिकारी 15 दिनों के भीतर कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर सकता है।
नियोक्ता को हो सकती है सजा –
अगर किसी भी स्थिति में कंपनी ग्रेच्युटी नहीं देती हैं तो उन्हें नियोक्ता ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 के उल्लंघन का दोषी माना जाएगा। भारतीय कानून के तहत इसके लिए 6 महीने से 2 साल तक (gratuity rule for private employee) की सजा का प्रावधान है। कई मामलों में, आपसी सुलह के बाद नियोक्ता को ब्याज सहित भुगतान करना पड़ता है और कभी-कभी जुर्माना भी लगाया जाता है।
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