family court : पत्नी ने पति से 5 लाख रुपये महीना मांगा, फैमली कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

My job alarm – (family court news): पति-पत्नी में कई बार विवाद इस कद्र बढ़ जाते हैं कि उनके साथ रहने के वचन और रिश्ते सब टूट जाते हैं। इस वजह से दोनों एक-दूसरे से अलग रहने लगते हैं। अक्सर इस तरह की स्थिति उत्पन्न होने पर पत्नी पति से अपने भरण पोषण (maintenance rule in law) के लिए रुपये दिए जाने मांग करती है, बेशक वह खुद भी आर्थिक रूप से मजबूत ही क्यों न हो। कोर्ट के अनुसार ऐसे मामलों में आर्थिक स्थिति का अहम रोल होता है। आइये जानते हैं ऐसे ही एक मामले में फैमिली कोर्ट ने क्या फैसला दिया है।

इन पत्नियों को नहीं होती भरण-पोषण भत्ते की जरूरत

जयपुर के फैमली कोर्ट ने पति-पत्नी के बीच उपजे विवाद में एक महत्वपूर्ण निर्णय (family court decision in maintenance) में कहा है कि यदि पत्नी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर है और उसके पास अपने जीवनयापन के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, तो वह अपने पति से भरण-पोषण (law of mantinance) राशि  की मांग नहीं कर सकती।फैमली कोर्ट ने इस मामले में पत्नी की याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने यह टिप्पणी भी की है कि यदि पत्नी खुद अपनी जरूरतों को पूरा करने में आर्थिक रूप से सक्षम है, तो उसे पति के सहारे की आवश्यकता नहीं होती।

यह था पूरा मामला-

एक महिला ने पारिवारिक न्यायालय में याचिका दायर करते हुए अपने पति से पांच लाख रुपये प्रति माह संधारण यानी भरण पोषण की मांग (patni ke liye maintenance ke rule) की थी। महिला ने पति पर यह भी आरोप लगाया था कि उसके पति की हर महीने की इनकम लाखों में है और हाल ही में उन्होंने मुंबई और जयपुर में तीन महंगे फ्लैट बेचे हैं। इस प्रोपर्टी से उन्हें भारी रकम मिली है। इसके अलावा, महिला ने यह भी बताया कि उसके पति ने राम मंदिर निर्माण के लिए पांच लाख रुपये दान किए हैं। महिला ने यह भी तर्क दिया था कि पति की कमाई और इन बातों को ध्यान में रखते हुए उसे पर्याप्त भरण पोषण मिलना चाहिए।

बच्चों की पढ़ाई के लिए खर्च देने का आदेश दिया –

वैशाली नगर निवासी एक पति-पत्नी के बीच 2017 से चल रहे पारिवारिक विवाद का मामला अदालत (husband wife family court decision) तक पहुंच गया। 2020 में दोनों ने तलाक के लिए आवेदन भी कर दिया। इसके बाद साल 2021 में पत्नी ने पति से भरण पोषण दिलाए जाने की याचिका दायर की थी। अदालत ने इस मामले में पत्नी को भरण पोषण (patni ke bharan poshan ke adhikaar) का हकदार नहीं माना, लेकिन पति को दोनों नाबालिग बच्चों के लिए हर महीने 50,000 रुपये देने का आदेश दिया। कोर्ट की ओर से फैसला सुनाते हुए यह राशि बच्चों की पढ़ाई और अन्य खर्चों के लिए निर्धारित की गई थी।

कोर्ट ने महिला के पति को दी यह जिम्मेदारी-

इस मामले में महिला के पति के वकील की ओर से अदालत में यह तथ्य पेश किया गया कि पत्नी आर्थिक रूप से सक्षम है, जिस कारण उसे भरण पोषण (rights to maintenance in law) की राशि की जरूरत नहीं है। हालांकि, बच्चों की भलाई को देखते हुए कोर्ट की ओर से महिला के पति को वित्तीय जिम्मेदारी सौंपते हुए 50 हजार रुपये हर माह देने का आदेश दिया है।

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