Property Rights : चाचा-ताऊ ने पूरी संपत्ति पर जमा लिया है हक, नहीं दे रहे हिस्सा तो करें ये काम

My job alarm –  (property knowledge) हमारे देश में संपत्ति के विवाद बहुत अधिक संख्या में बढ़ गए है। आए दिन कोर्ट में ऐसे मामले पहुंचते रहते हैं। संपत्ति का बंटवारा (property division in India) सही से ना हो पाने पर लोग कोर्ट के चक्कर लगा रहते हैं। ऐसे में अगर वसीयत ना हो तो बंटवारे की प्रक्रिया (property splitting process) और भी ज्यादा पेचीदा हो जाती है। लेकिन बंटवारा तो एक अलग बात हो गई बंटवारे से पहले ही अगर चाचा ताऊ आपकी जमीन पर कब्जा (property possession) कर लें और आपका हिस्सा देने से मना कर दें तो आप क्या करेंगे? ऐसा ही एक मामला बिहार से सामने आया है। 

जान लें पूरा मामला

हाल ही में जो संपत्ति का मामला सामने आ रहा है उसके अनुसार बिहार के समस्‍तीपुर के रहने वाले सुरेश कुमार बीते 10 साल से दिल्‍ली में रहकर जॉब करते हैं। ऐसे में अब अच्‍छी सैलरी और पक्‍की नौकरी होने के चलते सुरेश ने दिल्‍ली में ही अपना मकान बना लिया और पूरा परिवार यहीं शिफ्ट हो गया। 40 की उम्र पार कर चुके सुरेश के माता-पिता और दादा जी की मौत हो चुकी (property news) है। अब ये तो जाहिर है कि गांव की संपत्ति में अब सुरेश सीधे तौर पर मालिकाना हक रखते हैं, लेकिन गांव में रहने वाले उनके चाचा-ताऊ संपत्ति का बंटवारा नहीं कर रहे और पूरी प्रॉपर्टी पर अपना ही हक जमाते हैं। ऐसे में सुरेश के पास क्‍या ऑप्शन है और अधिकार हैं और वे अपनी प्रॉपर्टी का मालिकाना हक कैसे प्राप्‍त कर (How to get ownership of your property) सकते हैं। वो इन सावलों के जवाब की खोज में है। 

क्या कहते है जानकारी

पूरे मामले के बारे में जानने के बाद संपत्ति और प्रॉपर्टी मामलों के जानकार (Expert in property and property matters) प्रदीप मिश्रा बताते हैं कि ऐसे मामलों में उनके पास संपत्ति बंटवारे का मुकदमा दायर करना ही सबसे प्रभावी और सुरक्षित तरीका है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह मुकदमा किसी भी संपत्ति के हिस्‍सेदारों (who is shareholders of property) में शामिल कोई भी पक्ष दाखिल कर सकता है। अगर आप भी ऐसी ही स्थिति में है और इसके निपटारे के लिए मुकदमा दायर करना चाहते है तो इस मुकदमे की फीस महज 500 रुपये है और कोर्ट में दाखिल करने से पहले कुछ डॉक्‍यूमेंट की जरूरत होती है। साथ ही इसे सब-रजिस्‍ट्रार के ऑफिस में आपको पंजीकरण भी कराना होता है।

ये दस्तावेज है जरूरी

कानूनी वारिस का आईडी प्रूफ
प्रॉपर्टी के सारे टाइटल डीड की सर्टिफाइड कॉपी प्रॉपर्टी की डिटेल्स सहित
प्रॉपर्टी का वैल्यूएशन
कानूनी वारिस का जन्म एवं निवास का पता
वारिस का रेसीडेंस सर्टिफिकेट
मृत मालिक का ओरिजनल डेथ सर्टिफिकेट
मृतक का रेसीडेंस सर्टिफिकेट

इतने सालों के अंदर-अंदर ही दाखिल कर दें मुकदमा

कब्जे के कानूनों के बारे में आपको जानकारी होना बेहद जरूरी है। इसमें होता ये है कि आपको 12 साल पूरे होने से पहले ही संपत्ति पर दावे के लिए मुकदमा दायर करना होता है क्योंकि 12 साल के बाद कानून भी इसमें आपकी कोई मद नही कर पाएगा। इसलिए आपके लिए सबसे जरूरी बात ये है कि अपनी संपत्ति के बंटवारे का मुकदमा (property division case) आपको पिता या दादा जी की मौत के 12 साल के भीतर दाखिल कर देना जरूरी होता है। संपत्ति कानून के तहत अगर आपके चाचा-ताऊ 12 साल तक इस प्रॉपर्टी का उपयोग कर लेते हैं या उस पर एकाधिकार रखते हैं तो उस पर आपको कब्‍जा लेने में कई कानूनी दिक्‍कतों (Indian Laws) का सामना करना पड़ सकता है।

इसके अलावा कर सकते है ये काम

ऊपर हमने आपको संपत्ति के बंटवारे के तरीके (Methods of division of property)  के बारे में विस्तार से बता दिया है इसके अलावा आप पार्टिशन डीड के जरिये भी अपनी प्रॉपर्टी का बंटवारा कर सकते हैं। आपकी जानेारी के लिए ये बता दें कि यह बंटवारा प्रॉपर्टी के सह-मालिकों (Co-owners of property) की आपसी सहमति से होता है। हालांकि, इसके लिए जरूरी है कि डीड को स्‍टांप पेपर पर लिखवाया जाए और सब-रजिस्‍ट्रार ऑफिस में रजिस्‍टर्ड भी कराया जाए। इस डीड में कुछ बातें शामिल होनी चाहिए। जैसे विवाद का समाधान एवं निपटारा, बंटवारे के बाद किसका कितना हिस्सा है, टाइटल डीड्स (title deeds) का प्रोडक्शन, तमाम परिस्थितियों का जिक्र और मौजूदा कानूनों की जानकारी शामिल होना जरूरी है।

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