Property Document : नया घर खरीदने से पहले जरूर चेक कर लें ये कागजात, वरना लग जाएगी चपत

My job alarm – हर किसी का अपना घर खरीदने का सपना होता है, लेकिन इसे पूरा करने से पहले कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है। रियल एस्टेट (real estate) की डील करने से पहले संपत्ति की गहराई से जांच-पड़ताल करना आवश्यक है। सबसे पहले, संपत्ति के सभी जरूरी दस्तावेजों की जांच करनी चाहिए। यह देखना चाहिए कि मकान या फ्लैट किसी कानूनी विवाद (property dispute) में तो नहीं है। 
इसके साथ ही, प्रॉपर्टी के मालिक की पृष्ठभूमि और संपत्ति की वैधता की जानकारी भी लेना चाहिए। किसी अनुभवी वकील से कानूनी सलाह लेना और दस्तावेजों का सत्यापन करवाना बेहद महत्वपूर्ण है। 

संपत्ति के मालिकाना हक की जांच

संपत्ति खरीदने से पहले उसके स्वामित्व का अच्छी तरह से शोध करना बहुत जरूरी है। टाइटल डीड (title deeds ) एक महत्वपूर्ण कागज है, जो संपत्ति के असली मालिकाना हक को दर्शाता है और इसे सत्यापित करना आवश्यक है। टाइटल डीड में मालिक के अधिकार, उसकी जिम्मेदारियाँ और अगर कोई बंधक है तो उससे जुड़े अधिकार शामिल होते हैं।

 इससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि संपत्ति के स्वामित्व में किसी प्रकार की समस्या, जैसे कि हस्तांतरण, विभाजन, रूपांतरण या उत्परिवर्तन से जुड़े मुद्दे न हों। इसके अलावा, यह भी देखना जरूरी है कि जिस भूमि पर संपत्ति बनी है, वह कानूनी रूप से खरीदी गई है और निर्माण के सभी जरूरी अनुमति नियमों का पालन किया गया है। इस तरह की जांच से आपके निवेश की सुरक्षा सुनिश्चित होती है और भविष्य में किसी कानूनी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।

नगर निगम के पास टैक्स जमा हुआ या नहीं

मकान एक अचल संपत्ति है। वर्षों से नगर निगम इस पर कुछ टैक्स (property tax) या संपत्ति कर वसूल रहे हैं। इस लिए कोई भी मकान या अचल संपत्ति खरीदने से पहले यह जानना आवश्यक है कि इस मकान पर निगम का कोई बकाया नहीं है। इसके लिए एक खरीदार को ऋणभार प्रमाण पत्र की जांच करनी चाहिए। 
एक भार प्रमाणपत्र यह साबित करता है कि आपकी संपत्ति पर कोई मौद्रिक और कानूनी देनदारी नहीं है। इसे डिप्टी रजिस्ट्राट के कार्यालय से प्राप्त किया जा सकता है, जहां संपत्ति रजिस्टर्ड (property registered) कराई गई है। यह जांचना एक महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि यह 30 साल पहले तक जा सकता है।

कमेंसमेंट सर्टिफिकेट

कमेंसमेंट सर्टिफिकेट (Commencement Certificate), जिसे कई जगह कंस्ट्रक्शन क्लीयरेंस सर्टिफिकेट भी कहा जाता है, एक जरूरी दस्तावेज है। जब आप किसी बिल्डर से निर्माणाधीन फ्लैट या प्लॉट खरीद रहे हों, तो इस सर्टिफिकेट को जरूर चेक करें। यह प्रमाणपत्र बताता है कि बिल्डर को स्थानीय अधिकारियों से इस निर्माण के लिए सभी जरूरी मंजूरियां मिल चुकी हैं और कानूनी रूप से इसका निर्माण शुरू करने की अनुमति है। 

इस सर्टिफिकेट के बिना, यह नहीं कहा जा सकता कि निर्माण पूरी तरह से वैध है या नहीं। कमेंसमेंट सर्टिफिकेट मिलने का मतलब है कि बिल्डर के पास सभी जरूरी लाइसेंस और परमिशन हैं। यह आपके निवेश को सुरक्षित रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि भविष्य में किसी कानूनी समस्या का सामना न करना पड़े।

लेआउट या साइट प्लान की जांच करें

लेआउट योजनाओं को उपयुक्त योजना अधिकारियों द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए। ऐसे मामलों में घर खरीदारों को सावधानी बरतने की जरूरत है। क्योंकि, ऐसे मामले सामने आए हैं जहां डेवलपर्स अतिरिक्त मंजिलों को जोड़कर या खुले क्षेत्रों को कम करके अनुमोदित लेआउट से अलग हट गए हैं। यह एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिसे संपत्ति खरीद को अंतिम रूप देने से पहले क्रॉस-चेक किया जाना चाहिए। 
आमतौर पर, एक भवन योजना को स्थानीय नगरपालिका प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित किया जाता है। इसे साइट योजना के रूप में भी जाना जाता है और इस दस्तावेज (property document) में परियोजना, उपकरण लेआउट और उपयोगिताओं का एक खाका शामिल है। कोई भी अनधिकृत या अतिरिक्त निर्माण बाद में ध्वस्त होने या कब्जा करने से इनकार करने का जोखिम उठाता है।

कब्जा (ऑक्‍यूपेंसी) या ओसी प्रमाण पत्र

यह प्रमाण पत्र, जिसे कंप्लीशन सर्टिफिकेट (Completion Certificate) कहा जाता है, प्रॉपर्टी का निर्माण पूरा होने के बाद ही स्थानीय अधिकारियों द्वारा जारी किया जाता है। यह सर्टिफिकेट बताता है कि बिल्डर ने निर्माण कार्य को सभी आवश्यक सरकारी अनुमतियों और नियमों के अनुसार पूरा किया है। इसमें यह भी शामिल होता है कि प्रोजेक्ट में पानी, सीवेज और बिजली के कनेक्शन पूरी तरह से उपलब्ध कराए गए हैं। 
कंप्लीशन सर्टिफिकेट से यह भी सुनिश्चित होता है कि इमारत रहने या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उपयुक्त है और इसे कानूनी रूप से खरीदा या उपयोग में लिया जा सकता है। इस प्रमाण पत्र को प्राप्त करने के बाद ही प्रॉपर्टी की खरीद में सुरक्षा की पूरी गारंटी मानी जाती है, क्योंकि इससे खरीदारों को किसी भी कानूनी अड़चन का सामना नहीं करना पड़ता।

 

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