यहां अगर लाश को नहीं दिया पैसा, तो घर के बाहर होगा…

Mautana Pratha: भारत देश में बहुत सी प्रथाएं है, यहां बहुत सी प्रथाएं ऐसी भी हैं, जो सालों से चली आ रही है. लगभग सभी समाजों में बड़े बुजुर्ग इन प्रथा को कानून के जैसे ही मानते हैं. केवल भारत ही नहीं अन्य देश के कई समाज भी प्रथाओं पर ही निर्णय लेते हैं. समय के साथ कुछ रिवाज खत्म हो रहे हैं. जागरूक होने के बाद समाज में इन प्रथाओं को जारी रखना जनता के साथ बहुत बड़ा अन्याय माना गया है और इसे धीरे-धीरे समाप्त कर दिया गया.

क्या है मौताणा प्रथा?

आज हम आपको एक ऐसे ही रिवाज के बारे में बताएंगे जिसका नाम मौताणा है. मौताणा प्रथा राजस्थान के दक्षिणी पश्चिमी भागों में प्रचलित है. यह 2 शब्दों को जोड़कर बनी है मौत जाहिर तौर पर मृत्यु, दूसरा आना धन के लिए इस्तेमाल किया गया है. मौताणा. ये प्रथा दक्षिण पश्चिमी भागों के आदिवासी क्षेत्रों में गहरी जड़े जमाए हुए हैं. राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र के राजसमंद, सिरोही, पाली, उदयपुर, बांसवाड़ा , प्रतापगढ़ जिले में इस प्रथा का जिक्र अक्सर सुनाई दे जाता है.

आरोपी पक्ष देगा पैसा

इस प्रथा को मरने वाले के आश्रित को धन सहायता मुहैया कराने के लिए चालू किया गया था. अप्राकृतिक, एक्सीडेंटल, असमय मृत्यु पर जिम्मेदारी व्यक्ति को इस प्रथा के अनुसार मरने वाले के परिवार को पैसा देना होता था. पहले लोग राजस्थान के बिखरे हुए थे और यह खेती-किसानी पर आश्रित नहीं थे. ऐसे में कई बार दो आदिवासी समूह एक दूसरे पर हमला भी करते थे. उनकी इसी मार-काट को खत्म करने के लिए की मौताणा शुरू हुई. मौताणा होने तक लाश का अंतिम संस्कार नहीं होता था.जब आरोपी इस पर राजी नहीं होता था तो लाश को उसके घर के दरवाजे पर रखा जाता था. आखिर में आरोपी को मौताणा देना ही पड़ता था. ऐसा नहीं था केवल हत्या के मामले में ही मौताणा वसूला जाए यदि कोई व्यक्ति काम करते हुए भी खेत में मरा है तो खेत का मालिक मौताणा देगा, वाहन पर लिफ्ट देने वाले व्यक्ति के साथ यदि एक्सीडेंट हो जाए और लिफ्ट लेने वाला मर जाए तो वाहन मालिक को मौताणा देना पड़ेगा. कई मामले में मौताणा दिए बिना संबंधित व्यक्ति को छोड़ा नहीं जाता.

चढ़ोतरा का कार्यवाही

यदि आरोपी मौताणा देने से मना करता था तो उसके खिलाफ चढ़ोतरा की कार्रवाई की जाती है इसका मतलब है कि आरोपी के घर पर भारी संख्या में लोग हथियार के साथ चढ़ाई करते है. समय के साथ यह प्रथा कम होती चली गई लेकिन कभी कभी मौताणा वसूलने के मामले सामने आते है.

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