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गरीब अनाथ बच्चों की सहायता के लिए वकालत छोड़ कर IAS बनने का किया फैसला,माता-पिता ने किया सहयोग, जानिए ऑफिसर वैशाली की कहानी

सफलता एक दिन में नहीं मिलती हैं, अगर ठान लो तो एक दिन जरूर मिलती है. यह कहावत संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सर्विसेज की परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों के लिए एकदम सही है. क्योंकि सिविल सर्विसेज की परीक्षा में हर वर्ष लाखों की संख्या में अभ्यर्थी शामिल होते हैं, जिसके कारण परीक्षा में प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है. लेकिन मेहनत करने वाले अभ्यर्थी एक न एक दिन सफल जरूर होते हैं. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है वैशाली सिंह ने. वैशाली सिंह को 2018 की सिविल सर्विसेज परीक्षा में ऑल इंडिया 8वीं रैंक मिली थी. वैशाली सिंह आज एक आईएएस अधिकारी हैं.

वैशाली सिंह का जन्म हरियाणा प्रदेश के फरीदाबाद जिले में हुआ था. वैशाली शुरू से ही पढ़ाई में तेज थीं. 12वीं के वह ग्रेजुएशन करने दिल्ली चली गईं. ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने वकालत शुरू कर दी. वकालत से वे काफी खुश भी थीं. लेकिन एक दिन गरीब बच्चों को देखकर वैशाली के जेहन में यूपीएससी में जाने का ख्याल आया. उनका मानना था कि गरीब बच्चों की मदद आईएएस अफसर बनकर ही किया जा सकता है.

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पहले प्रयास में प्रीलिम्स से ही हो गईं थीं बाहर

वैशाली ने जब सिविल सेवा की प्रीलिम्स परीक्षा पहली बार दी तो उनकी तैयारी अच्छी नहीं थी. जिसकी वजह से वे प्रीलिम्स से ही बाहर हो गईं. इसके बाद उन्होंने खुद को मोटिवेटेड और सकारात्मक बनाए रखा. दूसरे प्रयास के लिए उन्होंने पहले से बेहतर तैयारी की. इस बार वैशाली न सिर्फ सफल हुईं, बल्कि उन्होंने बहुत अच्छी रैंक प्राप्त कर टॉपर्स की सूची में जगह बनाई. उनकी ऑल इंडिया रैंक 8वीं थी.

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यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को लेकर वैशाली का मानना है कि सफलता प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत के अलावा स्मार्ट तरीके से पढ़ाई करने की जरूरत होती है. इसके अलावा टाइम मैनेजमेंट बेहद जरूरी होता है. जिसकी बदौलत आप सफलता प्राप्त कर सकते हैं. वैशाली का मानना है कि कोई भी व्यक्ति 24 घंटे की पढ़ाई नहीं कर सकता है. ऐसे में अगर आप 10 से 12 घंटे की भी पढ़ाई करते हैं तो सफलता प्राप्त कर सकते हैं.

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